भदोही कंठ (०२) – भ्रष्टाचार बोले तो ‘बिगड़ा हुआ आचरण’, पढ़िये अंतरराष्ट्रीय मुद्दा

भ्रष्टाचार हमारे नैतिक जीवन मूल्यों पर सबसे बड़ा प्रहार है। भ्रष्टाचार से जुड़े लोग अपने स्वार्थ में अंधे होकर राष्ट्र का, राज्य का, जनपद के नाम को बदनाम कर रहे हैं। भ्रष्टाचार का संधि विच्छेद करते हिंदी कलमकार लिखते हैं कि ‘भ्रष्ट+आचार’ भ्रष्ट यानी ‘बुरा’ या ‘बिगड़ा’ हुआ तथा ‘आचार’ का ‘मतलब’ है ‘आचरण’। अर्थात भ्रष्टाचार का शाब्दिक अर्थ है कि वह आचरण जो किसी भी प्रकार से अनैतिक और अनुचित हो। ऐसे में संविधान की शपथ लेने वाले जनप्रतिनिधि ही जब भ्रष्टाचार के इर्द-गिर्द संरक्षक हों तो इसे सफेदपोश सिंडिकेट कहा जा सकता है।

भ्रष्टाचार विरोधी दिवस – दुनियाभर में भ्रष्टाचार के खिलाफ लोगों में जागरूकता फैलाने के लिए ही 9 दिसंबर को ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाया जाता है। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 31 अक्टूबर 2003 को एक प्रस्ताव पारित कर ‘अंतरराष्ट्रीय भ्रष्टाचार विरोधी दिवस’ मनाए जाने की घोषणा की थी। भ्रष्टाचार के खिलाफ संपूर्ण राष्ट्र एवं दुनिया का इस जंग में शामिल होना एक शुभ संकेत है, क्योंकि भ्रष्टाचार आज किसी एक देश की नहीं, बल्कि संपूर्ण विश्व की समस्या है।(स्तंभकार – मुंबई यूनिवर्सिटी से राजनीति शास्त्र में स्नातक उपरांत ‘मास कम्युनिकेशन’ डिग्रीधारी रहें हैं। विगत् ११ वर्षों से न्यूज चैनल एवम् सुप्रसिद्ध अखबारों में सेवा प्रदाता हैं)

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