HAPPY NEW YEAR 2022:भारत में हर धर्म का अपना कैलेंडर, जानिए कब शुरू होता है किस धर्म का नया साल…!

नई दिल्ली(कन्हैयालाल दुबे):नए साल का शानदार आगाज हो चुका है. 1 जनवरी तारीख लगते ही हर जगह नए साल की मुबारकबाद देने का सिलसिला शुरू हो चुका है. आप भी अपने दोस्तों, रिश्तेदारों और परिचितों को नववर्ष की शुभकामनाएं और तमाम संदेश भेजने में व्यस्त होंगे. लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में नव वर्ष सिर्फ एक जनवरी को नहीं मनाया जाता. यहां अलग अलग धर्म के लोग इसे अपने कैलेंडर के मुताबिक अलग अलग तारीखों पर सेलिब्रेट करते हैं. जानिए किस धर्म में कब मनाया जाता है न्यू ईयर.

ईसाई नव वर्ष

चूंकि आज 1 जनवरी है, ऐसे में सबसे पहले बात आज की ही करेंगे. 1 जनवरी को नया साल मनाने की परंपरा ग्रिगोरियन कैलेंडर आने के बाद शुरू हुई थी. ये ईसाइयों का कैलेंडर है. ग्रिगोरियन कैलेंडर से पहले रूस का जूलियन कैलेंडर प्रचलित था जिसमें सिर्फ 10 माह का एक साल होता था. इस 15 अक्टूबर 1582 में अमेरिका के नेपल्स के फिजीशियन एलॉयसिस लिलिअस ने नया कैलेंडर लेकर आए जिसमें साल की शुरुआत 1 जनवरी से थी. धीरे धीरे ये कैलेंडर दुनियाभर में प्रचलित हो गया और ज्यादातर जगहों पर 1 जनवरी को नया साल मनाया जाने लगा.

हिंदू नव वर्ष

भारत में हिंदू नववर्ष चैत्र महीने की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से शुरू होता है. मान्यता है कि सृष्टि के रचियता ब्रह्रमा जी ने इसी दिन से संसार की रचना को शुरू किया था. इसे नव संवत के नाम से संबोधित किया जाता है.

 

इस्लामिक नव वर्ष

इस्लामिक या हिजरी कैलेंडर के मुताबिक मुस्लिम धर्म के लोग मोहर्रम महीने की पहली तारीख को अपना नया साल मनाते हैं. दुनियाभर के मुस्लिम अपने त्योहार की तारीखों और सटीक समय के लिए ज्यादातर इसी कैलेंडर का इस्तेमाल करते हैं. वहीं 19 अगस्त को नवरोज पर्व के तौर पर पारसी लोग अपना नया साल सेलिब्रेट करते हैं. करीब 3000 साल पहले इसकी शुरुआत की गई थी.

सिख नव वर्ष

सिख नानकशाही कैलेंडर के अनुसार 14 मार्च को होला मोहल्ला नया साल होता है. इसे वैशाखी पर्व के रूप में मनाया जाता है. वहीं सिंधी लोगों का नया साल चैत्र माह की द्वितीया तिथि को चेटीचंड उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. मान्यता है कि इस दिन भगवान झूलेलाल का जन्म हुआ था.

 

जैन नव वर्ष

जैन धर्म में नए साल को निर्वाण संवत कहते हैं. ये दीपावली के दूसरे दिन मनाया जाता है. मान्यता है कि इससे एक दिन पहले ही महावीर स्वामी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी.


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