बीजेपी ने गुजरात हिमाचल के साथ ही अगले साल होने वाले सभी विधानसभा चुनावों की भी रणनीति बना ली...
एक ओर जहां कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा निकाल रही है तथा अन्य दल आगामी विधानसभा चुनावों को छोड़कर साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों में खुद की प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को मजबूती देने में लगे हुए हैं वहीं भाजपा का प्रयास है कि 2024 से पहले होने वाले सभी विधानसभा चुनावों में विजय हासिल की जाये.
इसके लिए पार्टी ने रणनीति बनाकर उस पर अमल भी शुरू कर दिया है। भाजपा की यह रणनीतियां जमीन पर कितनी कारगर सिद्ध हो रही हैं या बदलती राजनीतिक परिस्थितियों में और क्या नये कदम उठाने चाहिए, इस मुद्दे पर भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने दो बड़ी अहम बैठकें की हैं।
हम आपको बता दें कि आगामी लोकसभा चुनाव सहित इस साल के अंत और अगले साल होने वाले विभिन्न राज्यों के विधानसभा चुनावों की तैयारियों के मद्देनजर मंगलवार को राज्यों के प्रभारियों और पार्टी महासचिवों के साथ नड्डा ने अलग-अलग बैठकें कीं। माना जा रहा है कि हाल में संपन्न आरएसएस की समीक्षा बैठकों में भाग लेने वाले नड्डा ने इस बैठक में संघ से मिले जमीनी स्तर का फीडबैक भी पार्टी नेताओं के समक्ष रखा जिसके आधार पर आगे की रणनीति बनाई गयी। इस बैठक में बूथ समितियों पर विशेष जोर देते हुए संगठन को और मजबूत बनाने पर बल दिया गया और 2024 के लोकसभा चुनाव की तैयारियों को लेकर भी व्यापक चर्चा की गई। अगले साल जिन राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं, वहां के बारे में विशेष रूप से मंथन किया गया और बूथ समितियों को मजबूत करने पर बल दिया गया।
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नड्डा ने महासचिवों के साथ बैठक में आगामी संगठनात्मक गतिविधियों के बारे में भी चर्चा की। इसके अलावा बैठक में नड्डा ने बिहार में पार्टी संगठन को मजबूती देने पर भी पदाधिकारियों से चर्चा की। ज्ञात हो कि बिहार में भाजपा का लंबे समय तक जनता दल यूनाईटेड के साथ गठबंधन रहा। पिछले दिनों जदयू ने भाजपा से नाता तोड़ लिया था और राजद, कांग्रेस तथा अन्य दलों के साथ मिलकर सरकार बना ली थी।
इसके अलावा गुजरात और हिमाचल प्रदेश को लेकर विस्तार से चर्चा की गयी। उल्लेखनीय है कि इस साल के अंत तक हिमाचल प्रदेश और गुजरात में विधानसभा चुनाव होने हैं। इन दोनों ही राज्यों में भाजपा की सरकारें हैं। हिमाचल में जहां भाजपा के सामने सत्ता बचाए रखने की चुनौती है, वहीं गुजरात में उसके समक्ष अपना गढ़ संभाले रखने की चुनौती है। इन दोनों ही राज्यों में पार्टी के समक्ष सबसे बड़ी चुनौती टिकट वितरण की होगी। हिमाचल और गुजरात के बारे में तो माना भी जा रहा है कि बड़ी संख्या में निवर्तमान विधायकों के टिकट कट सकते हैं। इन दोनों ही राज्यों में अभी यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या भाजपा किसी को मुख्यमंत्री के रूप में पेश करके चुनाव लड़ेगी या फिर प्रधानमंत्री के नाम पर ही वोट मांगे जाएंगे।
गुजरात और हिमाचल के अलावा अगले साल मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़, कर्नाटक, तेलंगाना, त्रिपुरा, मेघालय, नगालैंड और मिजोरम में भी चुनाव होने हैं। मध्य प्रदेश, कर्नाटक, त्रिपुरा में जहां भाजपा की सरकार है, वहीं तेलंगाना में तेलंगाना राष्ट्र समिति की सरकार है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ दो राज्य ऐसे हैं, जहां कांग्रेस की अपने बूते सरकार है। भाजपा का प्रयास है कि अपने राज्यों की सत्ता को तो बचाया ही जाये साथ ही राजस्थान और छत्तीसगढ़ से कांग्रेस के हाथ से सत्ता ले ली जाये ताकि सभी राज्य कांग्रेस मुक्त हो सकें।
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जहां तक नवनियुक्त राज्य प्रभारियों की बात है तो आपको याद दिला दें कि नड्डा ने नौ सितंबर को पूर्व मुख्यमंत्रियों और पूर्व केंद्रीय मंत्रियों समेत कई वरिष्ठ नेताओं को संगठनात्मक कार्य के लिए विभिन्न प्रदेशों में पार्टी मामलों का प्रभारी नियुक्त किया था। नवनियुक्त प्रभारियों में विजय रूपाणी और बिप्लब देब के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर और महेश शर्मा के नाम शामिल हैं। भाजपा ने विनोद तावड़े को बिहार का नया प्रभारी और बिहार के पूर्व मंत्री मंगल पांडे को पश्चिम बंगाल का प्रभारी बनाया था। विजय रूपाणी को पंजाब और चंडीगढ़ की जिम्मेदारी दी गई थी, जबकि बिप्लब देब को हरियाणा का प्रभारी नियुक्त किया गया था। प्रकाश जावड़ेकर को केरल का प्रभारी बनाया गया था, जबकि अरुण सिंह को राजस्थान की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। वहीं लंबे समय तक पार्टी की उत्तर प्रदेश इकाई में संगठन महामंत्री की भूमिका निभाने वाले सुनील बंसल को पश्चिम बंगाल, तेलंगाना और ओड़िशा में पार्टी का कामकाज देखने का दायित्व सौंपा गया था।
मंगलवार को हुई अहम बैठकों के बारे में जानकारी मिली है कि इनमें नड्डा के अलावा भाजपा के संगठन महासचिव बीएल संतोष, गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री बिप्लब देब, भाजपा महासचिव अरुण सिंह, विनोद तावड़े, तरुण चुग और सुनील बंसल मौजूद थे। देखना होगा कि भाजपा की यह रणनीतियां क्या कमाल दिखाती हैं।
जहां तक इस साल होने वाले विधानसभा चुनावों की बात है तो भाजपा के लिए हिमाचल और गुजरात के चुनाव इसलिए भी महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इन दोनों ही राज्यों के साथ भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की प्रतिष्ठा जुड़ी हुई है। हिमाचल प्रदेश जहां भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा का गृह राज्य है वहीं गुजरात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह का गृह राज्य है। ऐसे में इन दोनों ही राज्यों में भाजपा के प्रदर्शन पर सभी राजनीतिक दलों की नजर टिकी हुई है।
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