पैसा पद प्रतिष्ठा से मनुष्य को शांति प्राप्त नहीं हो सकती

अमरावती/ दि.16- पैसा पद प्रतिष्ठा कितना भी जोडा जाए, फिर भी अधूरापन ही मनुष्य को महसूस होता है. इससे मनुष्य को आत्मिक शांति नहीं प्राप्त हो सकती. इसके लिए अपनी ओर ध्यान देकर नि:स्वार्थ रूप से विचार करना ही पडेगा, ऐसा प्रतिपादन प्राचार्य अरविंद देशमुख ने किया.

वे सरस्वती मंदिर व सार्वजनिक वाचनालय दर्यापुर की ओर से आयोजित व्याख्यानमाला के समय बोल रहे थे. इसके लिए उन्होंने बिल गेट्स पर बफेट जगाती अमीर मान्यवरों की बात व्यक्त की और दोनों को भरपूर संपत्ति प्राप्त करने के बाद भी समाज के लिए निस्वार्थ रूप से कुछ करने के बाद ही आत्मिक शांति प्राप्त हुई, ऐसा कहा. निस्वार्थ सभा का विचार कर्मो में लाने के लिए अपने पास बहुत कुछ होने की आवश्यकता नहीं हैं. केवल अपने मन की भावना के आधार पर अपने पास रहनेवाला थोडा समय मन आदि से हमें शांति महसूस होती है.

इसके लिए उन्होंने महाराष्ट्र, महाराष्ट्र से बाहर इस तरीके से कार्य करनेवाले अनेक उदारण प्रस्तुत किए. इसके लिए प्रत्येक ने स्टार्ट वेयर यु आर विथ व्हॉट यु हॅव मेक समथिंग ऑफ इट अ‍ॅड नेव्हर बी सॅस्टिफाइड इस सूत्र का मार्ग पर अमल करने का प्रतिपादन किया. इस कार्यक्रम के अध्यक्ष संस्था के अध्या एड अशोकराव उर्फ दादासाहब गणोरकर थे. संगीत विशारत गजानन सरदार ने शुरूवात में सरस्वती स्तवन व या जन्मावर या जगण्यावर शतदा प्रेम करावे यह गीत अत्यंत सुंदर तरीके से प्रस्तुत किया.
मान्यवरों का परिचय संस्था के बालासाहब लंके ने दिया. आभार संस्था के एड नंदकिशोर बस ने माना. कार्यक्रम की व्यवस्था ग्रंथपाली गिरीश भाडेकर ने की. कार्यक्रम में नागरिकों की बडी संख्या में उपस्थिति थी. वंदे मातरम से व्याख्यान का समापन हुआ.

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