भदोही में भूमाफिया लील रहे हैं ऐतिहासिक 52 बीघा तालाब

भदोही, (एजेंसी/वार्ता): उत्तर प्रदेश के भदोही जिले में सदियों पुराना बावन बीघा तालाब अतिक्रमण का शिकार होकर अपने अस्तित्व से जूझ रहा है। समय रहते शासन प्रशासन ने इस ओर ध्यान न दिया तो तालाब इतिहास के पन्नों में सिमट कर रह जाएगा।
जिला मुख्यालय से मात्र 15 किलोमीटर दूर सुरियावा के जोरावरपट्टी स्थित बावन बीघा तालाब का निर्माण इतिहासकारों के अनुसार विक्रम संवत 1134 में महाराज जोरावर सिंह के भाई अचल सिंह ने कराया था। बताया जाता है कि तालाब का क्षेत्रफल 52 बीघे का होने के कारण इसका नाम 52 बीघा तालाब पड़ गया। कभी यह तालाब सुरियावा बाजार व आसपास के गांव की जीवन रेखा कहा जाता था। तालाब का पानी पीने के साथ सिंचाई के काम भी आता था।
क्षेत्र के बुजुर्ग बताते हैं कि सुरियावा की जोरावर पट्टी कभी राज घराने का एक आश्रय स्थल हुआ करती थी जहां फुर्सत के क्षणों में राज परिवार के लोग समय बिताने आया करते थे। हालांकि आज की स्थिति में मौके पर तालाब को छोड़ कर राजघराने की कोई निशानी मौजूद नहीं है। बताया जाता है कि ब्रिटिश साम्राज्य के पतन के साथ सरकार ने तालाब का अधिग्रहण कर लिया। पुराने सरकारी दस्तावेजों में आज भी तालाब राज परिवार के नाम दर्ज है।


तालाब परिसर में पहुंचते ही आपसी भाईचारे की अजब मिसाल देखने को मिलती है जहां मुस्लिम भाइयों की मस्जिद व कर्बला बनी है, तो दूसरी तरफ शिव व हनुमान जी के मंदिर में अनवरत कीर्तन भजन के साथ घंटे व घड़ियाल की आवाज सुनी जा सकती है। इतना ही नहीं परिसर में बौद्ध विहार भी बना है जहां बौद्ध धर्म अनुवाई अपनी ध्यान धारणा में मशगूल रहते हैं। लंबे अरसे से यहां मुस्लिम समुदाय के लोग ईद जैसे पर्व पर एकत्रित होते थे तो दूसरी तरफ दिवाली दशहरे पर भव्य मेले का आयोजन भी होता था। हालांकि कोरोना के चलते पिछले दो-तीन वर्षों से इस तरह के आयोजन पूरी तरह बंद हैं।
शासन प्रशासन की उदासीनता के चलते तालाब अपने अस्तित्व से जूझ रहा है। एक तरफ जहां भू माफियाओं ने तालाब की एक चौथाई भूमि पर कब्जा कर लिया है वही तालाब परिसर में बने पार्क में कोई भी परिवार के साथ आना नहीं चाहता। शाम ढलते ही परिसर में शराब की बोतलें टूटने के साथ अराजक तत्वों का जमावड़ा लगने लगता है। लोगों का मानना है कि तालाब को संरक्षित कर पिकनिक स्थल के रूप में विकसित कर दिया जाए तो एक तरफ जहां रोजगार के अवसर बढ़ेंगे वही जल संरक्षण में तालाब अच्छी भूमिका निभा सकता है‌।

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