भदोहीनामा कलंक’ – भाग-०३ विधायक ‘तुर्रम’ सपूत के बाद ‘खुर्रम’ कपूत.!
भदोहीनामा कलंक’ – भाग-०३
विधायक ‘तुर्रम’ सपूत के बाद ‘खुर्रम’ कपूत.!
कलयुगी ‘लंका’ में निष्पक्षता मौन, आखिर रावण कौन ‘योगी महराज’.?
भदोही के विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी का परिवार सदैव ही अपने कारनामों से सुर्खियों में रहा है, जिसके कारण ‘काशी-प्रयाग मध्य’ की दिव्य धार्मिक भूमि को ‘भदोहीनामा कलंक’ झेलना पड़ता है। ऐसे में कभी निष्पक्ष जांच की मांग करना एवम् कभी एक तरफा साक्ष्य देकर कार्यवाही की मांग करना और कभी आक्रोश-बौखलाहट में किसी को शाम तक में पीट देने का दावा भले उनके बदलते राजनीतिक रंग की मजबूरी या मजबूती हो लेकिन उनकी विधायकी बतौर कर्तव्यनिष्ठता भी संदिग्ध घेरे में है।
गौरतलब है कि भदोही जनपद ही नहीं बल्कि दूर-दराज तक अचानक २८ मई को खलबली मच गई। किसी भदोहीवासी की टिप्पणियों पर भाजपाई भले ही सोते रहे लेकिन बसपा से भाजपा शरणार्थी भदोही विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी जाग चुके थे। सिर्फ २५६ सदस्यों के व्हाटसअप समूह के गलियारे की ललकार को भाजपा का दामन थामकर विधायक बने रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने सोशल मीडिया पटल यांनि फेसबुक पर अपलोड करके दमदार सुर्खियां बटोरी। ऐसे में मुख्यतः कुछ भाजपाई एवम् हिंदुत्वादी द्वारा ‘तवा गरम था तो रोटी सेंकना लाजमी ही था और यदि राजनीतिक भट्ठी भी विधायक ने सुलगाई है तो समर्थन भी जरूरी था।’ आप समझ गये होगें कि चर्चा भदोही विधान सभा क्षेत्र के उक्त तथाकथित ‘खुर्रम अंसारी’ की चल रही है, जिसे एक विधायक की बौखलाहट ने गलियों से राष्ट्रीय पटल पर पहुंचा दिया लेकिन इसके पीछे के रहस्य से परदा नहीं उठ पाया। विशेष पड़ताल के तहत पत्रकारों की टीम ने पाया कि भदोही की गलियों के ‘खुर्रम अंसारी’ को सिर्फ चंद लोग ही जानते थे लेकिन उसके द्वारा व्हाटसअप समूह में की गई हास्य टिप्पणियों को पढ़कर बौखलाये विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने उसके कृत्यों से उसे ‘कपूत’ सिद्ध करने में कोई कोताही नहीं छोड़ी। शायद ऐ पब्लिसिटी की भट्ठी थी, जो चंद दिनों में ठंडी हो गई।
विधायकजी की फेसबुकिया ललकार…
“आज शाम तक यह जेल के अंदर रहेगा नहीं तो जवाबी कार्यवाही होगी ।
पुलिस अधीक्षक भदोही से बात करने के बाद तुरंत उन्होंने कोतवाल भदोही को आदेश दिया कि। गंगा जमुनी तहजीब को बिगाड़ने वाले खुर्रम अंसारी को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।
और अधिक से अधिक मुकदमे दर्ज किए जाएं, जिससे यह कभी किसी पर गलत शब्द का प्रयोग ना कर सके ।
इसका करारा जवाब इसको मिलेगा ।
माननीय मुख्यमंत्री महराज योगी आदित्यनाथ जी के न्याय वाली सरकार में ऐसे लोगों पर तुरंत कानूनी कार्यवाही होगी और यह शाम तक गिरफ्तार होगा।
मेरा सभी भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं से यह कहना है।
कि ऐसे खुर्रम तुर्रम ना जाने कितने आएंगे इनका डट के सामना करना है।
मैं अकेला ही ऐसे लोगों के लिए बज्र हूं ।
आप सबका साथ विश्वास मुझ पर बना रहे यही मनोकामना करता हूं ।”
आपका सेवक
रविंद्र नाथ त्रिपाठी
विधायक
भदोही
विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी ने समर्थकों एवम् आक्रोशित समाज से उपरोक्त पोस्ट में विश्वासरूपी समर्थन भी मांगा और जोरदार समर्थन भी मिला। इस मामले को लिखते समय ताजा आकड़ो के मुताबिक ३५२ लाईक और १८० कमेंट का समर्थन है। वैसे भले ऐ समर्थन किसी फेसबुकिया नेताओं को कम लगे लेकिन यह आकड़ा बतौर भाजपा प्रत्याशी भदोही विधायकी जीत से कहीं ज्यादा है।
भाजपा नेताओं से लाख गुना अच्छी हैं उनकी बेटियां…
उपरोक्त आंशिक कथन तथाकथित ‘खुर्रम अंसारी’ (9305 001215) का एक लोकल न्यूज के नाम से चलने वाले समूह का है, जिसका साक्ष्य विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी त्रिपाठी फेसबुक लगाया गया है। विशेष पड़ताल के मुताबिक उक्त व्हाटसअप समूह में अधिकांश टिप्पणी फारवर्ड किया हुआ है। इससे भी ज्यादा चौकानें वाले तथ्य यह भी है कि इसी समूह में अधिकांश भाजपाई जुड़े थे तो उनकी प्रतिक्रिया जगजाहिर नहीं हुई। वैसे एक तरफा लक्ष्य निर्धारित करके पब्लिसिटी उपरांत मामले को ठंडे बस्ते में डालकर मनमाफिक स्वार्थ सिद्धी में रविंद्रनाथ त्रिपाठी को महारत हासिल है। ऐसे स्थानीय राजनीतिक-कुटिनीतिक तथ्यों के दस्तावेज ‘भदोहीनामा कलंक’ स्तंभ के पड़ताली खोजी पत्रकारों के पास उपलब्ध है।
खैर..इस मामले ने विधायक के बेटे द्वारा राज्य के मुखिया आदित्यनाथ योगी एवम् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सहित पुलिस अधिकारियों को गाली बकते हुये शेखी बखार धमकियाना रिकार्डिंग मामला भी भदोही वासियों के जहंन में जीवंत कर दिया, जिसके बाद अब उक्त मामले की ठंडे बस्ते में पड़ी जांच रिपोर्ट को जगजाहिर करने हेतु कई हिंदुत्ववादी संगठन पत्र दिल्ली दरबार भेजने की तैयारी में हैं। वाराणसी के लंका थाने में दर्ज मामले की लिपापोती को लेकर सवाल उठाया जा रहा है
धारावाहिक के आगामी भाग में…
क्या ‘विश्वास’ में लेकर कैसे ‘विश्वासघात’ करते हैं भदोही विधायक.?
अपने बेटे को कैसे संविधान की सौगंध तोड़कर बचाते हैं विधायक रविंद्र नाथ त्रिपाठी.?
वाराणसी के लंका थाने की रिपोर्ट-जांच निष्पक्ष जगजाहिर हुई क्या.?
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